वर्ष 2019 का बिहार बोर्ड के द्वारा सामाजिक विज्ञान इतिहास का प्रश्न व्याख्यात्मक हल के साथ
इतिहास
प्रश्न संख्या 1 से 5 तक लघु उत्तरीय प्रश्न हैं
Q1. अमेरिका हिन्द-चीन में कैसे दाखिल हुआ, चर्चा करें।
उत्तर-1950 ई० में उत्तरी वियतनाम में हो-ची-मिन्ह की साम्यवादी सरकार तथा दक्षिणी वियतनाम में बाओदाई की फ्रांस समर्थित सरकार लगातार बढ़त बनाये थी। इसी क्रम में दिएन-विएन फू-दुर्ग पर साम्यवादी हो-ची-मिन्ह की सेना ने फ्रांसीसी सेना को बुरी तरह हरा कर कब्जा कर लिया। ऐसी स्थिति में साम्यवाद के बढ़ते प्रभाव को रोकने के उद्देश्य से फ्रांस के समर्थन में अमेरिका ने प्रत्यक्षतः हिन्द-चीन में उतरने का निश्चय किया। चूँकि रूस पहले से साम्यवादी हो-ची-मिन्ह का समर्थन कर रहा था अतः तृतीय विश्व युद्ध की संभावना नजर आ रही थी। इन्हीं परिस्थितियों में मई, 1954 ई० में जेनेवा समझौता हुआ जिसके फलस्वरूप वियतनाम को दो हिस्सों में बाँट उत्तरी वियतनाम साम्यवादियों को तथा दक्षिण वियतनाम फ्रांस-अमेरिका समर्थित सरकार को दे दिया गया।
लाओस और कम्बोडिया में वैध राजतंत्र के रूप को स्वीकार कर संसदीय शासन प्रणाली अपनाई गई। इस व्यवस्था के बाद भी साम्यवादी, दक्षिण वियतनाम, लाओस तथा कम्बोडिया में प्रभाव बढ़ाते जा रहे थे, जबकि अमेरिका इन क्षेत्रों को साम्यवादी प्रभाव में जाने से रोकने के लिए कृत संकल्प था।
Q2.बिहार के किसान आन्दोलन पर एक टिप्पणी लिखें
उत्तर- भारत एवं बिहार के किसान आन्दोलनों में 1917 ई० के चंपारण आन्दोलन का प्रमुख स्थान है। यह आन्दोलन उस व्यवस्था के खिलाफ था जिसमें प्रत्येक किसान को अपने भूमि के 3/20 हिस्से पर नील की खेती करनी होती थी। इस उपज को अत्यन्त कम कीमत पर उनसे ले लिया जाता था। व्यापार के घाटे को किसानों से वसूल किया जाता रहा। लगान भी बढ़ा दी गई। चम्पारण के राजकुमार शुक्ल ने 1916 ई० के लखनऊ अधिवेशन में किसानों की परेशानियों से अवगत कराते हुए महात्मा गाँधी को चम्पारण आने को कहा। गाँधीजी ने चम्पारण में सत्याग्रह चलाकर किसानों को राहत पहुँचाई।
इसके अतिरिक्त 1922-23 ई० में मुंगेर में शाह मुहम्मद जुबैर की अध्यक्षता में किसान सभा स्थापित हुई। 4 मार्च, 1928 ई० को बिहटा, (पटना जिला) में स्वामी सहजानन्द सरस्वती ने किसान सभा की स्थापना की। नवम्बर, 1929 ई. में सोनपुर मेला में ही स्वामी सहजानन्द की अध्यक्षता में प्रांतीय किसान सभा की स्थापना की गई। श्रीकृष्ण सिंह इसके सचिव बने।
इस प्रकार, बिहार में भी किसानों के संगठन के कई प्रयास हुए
Q 3. औद्योगीकरण ने मजदूरों की आजीविका को किस तरह प्रभावित किया?
उत्तर- औद्योगीकरण के फलस्वरूप बड़े-बड़े कारखाने स्थापित हुए,जिसके समक्ष छोटे उद्योग टिक नहीं सके। सामाजिक भेद-भाव की शुरूआत हो गई। औद्योगीकरण ने मजदूरों की आजीविका को इस तरह नष्ट-भ्रष्ट कर दिया कि उनके पास दैनिक उपयोग की वस्तुओं को खरीदने के लिए धन नहीं रहा। अब मजदूर और बेरोजगार कारीगरों ने झुंड बनाकर घूमना शुरू किया और मशीनों को तोड़ने में लग गये। अपनी स्थिति में सुधार की अपेक्षा उन्होंने आन्दोलनों को शुरू किया। इससे वर्ग संघर्ष की शुरूआत हुई।
Q4. शहरों के उद्भव में मध्यम वर्ग की भूमिका किस प्रकार की रही?
उत्तर- शहरों के उद्भव में मध्यम वर्ग की भूमिका महत्वपूर्ण थी। यह शिक्षित अथवा बुद्धिजीवी वर्ग था और विभिन्न रूपों में विद्यमान था। जैसे-वैज्ञानिक, शिक्षक, इंजीनियर, क्लर्क, वकील, चिकित्सक, लेखापाल, प्रबंधक, आदि। कल-कारखानों के प्रबंधन से लेकर शहर के प्रबंधन तक का कार्य इस वर्ग के हाथों में था। शहर का प्रशासन, शिक्षा, स्वास्थ्य आदि भी इनके हाथ में थी।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
Q6. राष्ट्रपति निक्सन के हिन्द-चीन में शांति के संबंध में पाँच सूत्री योजना क्या थी? इसका क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर- माई-ली हत्याकांड के रहस्योद्घाटन से पूरे विश्व में अमेरिकी सेना की किरकिरी होने लगी। विश्वभर में इस घटना के विरुद्ध तीव्र प्रतिक्रिया हुई । अमेरिकी प्रशासन की तीखी आलोचना हुई। इन आलोचनाओं से घबराकर अमेरिकी राष्ट्रपति निक्सन ने न केवल वियतनाम बल्कि पूरे हिन्द-चीन में शांति के संबंध में पाँच सूत्री योजना की घोषणा की जिसके प्रावधान इस प्रकार थे-
i) हिन्द-चीन की सभी सेनाएँ युद्ध बंद कर यथास्थान पर रहें।
(ii) युद्ध विराम की देख-रेख अंतर्राष्ट्रीय पर्यवेक्षक करेंगे।
(iii) इस दौरान कोई देश अपनी शक्ति बढ़ाने का प्रयत्न नहीं करेगा
(iv) युद्ध विराम के दौरान सभी तरह की लड़ाइयाँ बंद रहेंगी। बमबारी तथा आतंक फैलानेवाली घटनाएँ भी बंद रहेंगी।
(v) युद्ध विराम का अंतिम लक्ष्य समूचे हिन्द-चीन में संघर्ष का अन्त होना चाहिए।
राष्ट्रपति निक्सन के इन प्रस्तावों को वियतनाम ने तत्काल अस्वीकृत कर दिया। अमेरिकी सेनाओं ने पुनः बमबारी शुरू कर दी। इस प्रकार पाँच सूत्री शांति प्रस्ताव हिन्द-चीन में शांति स्थापित करने में असफल रही।
Q7. प्रथम विश्वयुद्ध के भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन के साथ अंतर संबंधों की विवेचना करें।
उत्तर-प्रथम विश्वयुद्ध विश्व इतिहास की एक महत्त्वपूर्ण घटना थी। इस युद्ध ने प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से सम्पूर्ण विश्व को प्रभावित किया। इसी क्रम में इसने भारतीय राष्ट्रीय आन्दोलन को भी प्रभावित किया। प्रथम विश्वयुद्ध समाप्त होने पर जब भारतीय आजादी की उम्मीद कर रहे थे, उन पर और कठोर नियंत्रण स्थापित करने वाला रॉलेट एक्ट 1919 ई० में पारित किया गया। रॉलेट एक्ट के विरोध के क्रम में 13 अप्रैल, 1919 ई का प्रसिद्ध जालियाँवाला बाग हत्याकांड हुआ। प्रथम विश्वयुद्ध से पूर्व दिए गए आश्वासन के बिल्कुल उल्टा अंग्रेजों के आचरण ने भारतीयों को राष्ट्रीय आन्दोलन करने के लिए बाध्य किया।
प्रथम विश्वयुद्ध का प्रत्यक्ष प्रभाव खिलाफत आन्दोलन के रूप में सामने आया। इस युद्ध में इस्लामिक दुनिया के राजनैतिक तथा आध्यात्मिक नेता (खलीफा) आन्दोलन तुर्की ब्रिटेन से हार गया था। उस पर सख़्त संधि थोपे जाने की खबर से भारतीय मुसलमानों में नाराजगी बढ़ी। उधर लखनऊ समझौता ने मुसलमानों और हिन्दुओं को एकता प्रदान की इस स्थिति में गाँधीजी ने खिलाफत के मुद्दे पर असहयोग आन्दोलन की तैयारी की।
प्रथम विश्वयुद्ध के बाद से भारत में महँगाई और बेरोजगारी दोनों ही बढ़ गई। युद्ध के दौरान इंग्लैंड में आर्थिक संकट के कारण भारत में उनका आयात रुक गया। इसका लाभ भारतीय उद्योगपतियों को हुआ। युद्ध समाप्त होने पर पुनः स्थितियाँ बदल गई। भारतीय उद्योगपति चाहते थे कि विदेशी वस्तुओं के आयात पर सरकार भारी शुल्क लगाए। सरकार के ऐसा नहीं करने पर भारतीय उद्योगपतियों ने महसूस किया कि मजबूत राष्ट्रीय आन्दोलन द्वारा दबाव बनाकर इसे प्राप्त किया जा सकता है। प्रथम विश्वयुद्ध ने भारतीयों के मन में गोरों की श्रेष्ठता का भय दूर कर दिया। युद्ध के दौरान यूरोपीय शक्तियों द्वारा परस्पर खिलाफ प्रचार तथा उपनिवेशों में उनके बर्बर और असभ्य व्यवहार का पर्दाफाश किया गया।
प्रथम विश्वयुद्ध से जुड़ी उपरोक्त घटनाएँ तथा परिस्थितियों ने भारतीय राष्ट्रीय आन्दोलन को बढ़ावा दिया।