बिहार बोर्ड सामाजिक विज्ञान इतिहास समाजवाद एवं साम्यवाद रिवीजन नोट्स | Class 10 History Chapter 2 Revision Notes | Highly useful for BSEB Matric Exam

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 समाजवाद एवं साम्यवाद



समाजवाद भारत के लिए कोई नई बात नहीं है, क्योंकि प्राचीन भारत में समाज के सबलोग मिल-जुलकर काम करते थे और अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति करते थे। आधुनिक काल में समाजवाद की परिकल्पना कार्ल मार्क्स द्वारा 19वीं शताब्दी में की गई। इसके पहले यूटोपियनों (स्वप्नदर्शियों) ने इस पर कुछ प्रकाश डाला था। यूटोपियनों में सेट साइमन, चार्ल्स फोरियर, लुई ब्लां तथा राबर्ट ओवन प्रमुख थे। प्रथम तीन तो फ्रांसीसी थे और अंतिम एक इंगलिश था।

कार्ल मार्क्स का जन्म 5 मई, 1818 में हुआ था। वह समाजवाद का प्रथम प्रतिवादक था। उसने 'दास कैपिटल' नाम की पुस्तक की रचना करके समाजवाद को प्रतिष्ठा प्रदान की थी। इसकी मृत्यु 1883 में हुई। उस समय रूस मार्क्सवादियों के लिए स्वर्ग-सा था, क्योंकि वहाँ का शासक जार जनता के बदले चापलूसो अधिक पसन्द करता था।

1817 के अक्टूबर में बोल्शेविक क्रांति की सफलता के बाद रूस में समाजवादी शासन की स्थापना हुई। लेनिन ने पहले तो अधिक कड़ाई की लेकिन बाद उसे देनी पड़ी, जिसके लिए उसने 1921 में नई आर्थिक नीति की घोषण की। 1924 में लेनिन कुछ सहुलिय की मृत्यु के बाद स्टालिन ने सत्ता सम्भाली। उसने नई आर्थिक नीति के कई प्रावधानों को वापस ले लिए और कम्युनिस्टों का असली चेहरा दिखा दिया। 1953 में स्टालिन की मृत्यु के बाद कई नेता बारी-बारी से रूस का प्रधानमंत्री बनते रहे और बदले जाते रहे। द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद रूस एक बड़ी शक्ति के रूप में सामने आया। अब पूँजीवादी देशों और रूस जैसे समाजवादी देशों में प्रतिस्पर्धा बढ़ने लगी। फलतः भयानक युद्धक शस्त्रास्त्र बनाए जाने लगे। इससे शीत युद्ध की भावना प्रबल होने लगी। रूसी क्रांति का अच्छा-बुरा दोनों प्रभाव पड़ा। यूरोपीय उपनिवेशों की जनता अपनी गुलामी से मुक्ति के लिए छटपटाने लगी। आन्दोलन पर आन्दोलन होने लगे। अंत में उबकर विदेशियों को उन देशों से भागना पड़ा, जहाँ वे जड़े जमा कर वहाँ की जनता का अनेक तरह से शोषण कर रहे थे। सभी परतंत्र देश स्वतंत्र हो गए।

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