Bihar Board Social science||Economics|| class 10|| chapter 1|| solution ||Hindi Notes सामाजिक विज्ञान (अर्थशास्त्र),कक्षा-10 हिंदी pdf

Vikash Kumar
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 वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Objective Questions) :


I.सही विकल्प चुनें

1. निम्न को प्राथमिक क्षेत्र भी कहा जाता है।

(1) सेवा क्षेत्र

(2) औद्योगिक क्षेत्र

(3) कृषि क्षेत्र 

(4) इनमें से कोई नहीं


2. इनमें कौन-से देश में मिश्रित अर्थव्यवस्था है ? 

(1) अमेरिका

(2) भारत

(3) रूस

(4) इनमें से कोई नहीं


3. भारत में योजना आयोग का गठन कब किया गया था ?

(1) 15 मार्च, 1950

(2) 15 अक्टूबर, 1951

(3) 15 सितम्बर, 1950 

(4) इनमें से कोई नहीं


4. जिस देश का राष्ट्रीय आय अधिक होता है वह देश कहलाता है।

(1) अविकसित

 (2) अर्द्ध-विकसित

(3) विकसित

(4) इनमें से कोई नहीं


5. इनमें से किसे पिछडा राज्य कहा जाता है ?

(1) पंजाब

(2) केरल

(3) बिहार

(4) दिल्ली


II. रिक्त स्थानों की पूर्ति करें :


1. भारत अंग्रेजी शासन का एक  उपनिवेश

 2. अंग्रेजी में भारतीय अर्थव्यवस्था का शोषण किया।

3. अर्थव्यवस्था आजीविका अर्जन की  प्रणाली है। 

4. द्वितीयक क्षेत्र को  औद्योगिक क्षेत्र कहा जाता है। 

5. आर्थिक विकास आवश्यक रूप से परिवर्तन की प्रक्रिया है।

6. भारत में आर्थिक विकास का श्रेय  नियोजन को दिया जा सकता है।

7. आर्थिक विकास की माप करने के लिए प्रति व्यक्ति आय को सबसे उचित सूचकांक  माना जाता है।

8. साधनों के मामले में धनी होते हुए भी बिहार की स्थिति दयनीय  है। 

9. बिहार में कृषि ही जीवन का आधार है। 

10. बिहार के विकास में जनसंख्या में वृद्धि एक बहुत बड़ा बाधक है।


लघु उत्तरीय प्रश्न (Short Answer Questions ) :


 प्रश्न 1. अर्थव्यवस्था किसे कहते हैं ?

उत्तर–अर्थव्यवस्था उस तंत्र या ढाँचा को कहते हैं, जिसके तहत विभिन्न प्रकार की आर्थिक क्रियाएँ की जाती है। किसान कृषि कार्य करते हैं, उद्योगपति उद्योगों का संचालन करते हैं। श्रमिक श्रम करते हैं। शिक्षक पढ़ाते हैं, वकील बहस करते हैं, व्यापारी व्यापार करते हैं, परिवहन के माध्यम आदमी और सामान को एक स्थान से दूसरे स्थान को पहुंचाते हैं आदि ये सभी आर्थिक क्रियाएँ है। इन सभी के मिले-जुले रूप को 'अर्थव्यवस्था' कहते हैं। अर्थव्यवस्था के दो लाभ हैं। एक कि लोगों की आवश्यकता की पूर्ति होती है तथा दूसरा कि लोगों को रोजगार प्राप्त होता है।

प्रश्न 2. मिश्रित अर्थव्यवस्था क्या है ?

 उत्तर–जैसा कि हम जानते हैं मिश्रित का अर्थ होता है मिला-जुला। इसी प्रकार मिश्रित अर्थव्यवस्था भी मिली-जुली अर्थव्यवस्था है। ऐसी अर्थव्यवस्था में पूँजीवादी और समाजवादी दोनों अर्थ व्यवस्थाओं का मिश्रण रहता है। उत्पादन के कुछ साधनों का स्वामित सरकार तथा निजी व्यक्तियों के पास रहता है। भारत में मिश्रित अर्थव्यवस्था ही है। इस अर्थव्यवस्था को पूँजीवाद और समाजवाद के बीच का रास्ता माना जाता है। निजी व्यक्त अपने हित के लिए उद्योग चलाते हैं, लेकिन सरकार जनता के हित में उद्योग चलाती है। 

प्रश्न 3. सतत् विकास क्या है?

उत्तर:- सभ्यता के विकास के कारण प्रकृति से प्राप्त होने वाले साधनों का उपयोग धड़ल्ले से होने लगा है। उदाहरण के लिए कोयला, पेट्रोलियम, पेट्रोलियम गैस, वन्य साधन, जल इत्यादि का उपयोग अधिक होने लगा है। इस पर ध्यान नहीं दिया जाता कि एक बार समाप्त होने के बाद ये पुनः प्राप्त होने वाले नहीं हैं। दूसरी बात यह कि इनसे पर्यावरण भी प्रदूषित होता है। अतः इनका उपयोग इस प्रकार मितव्ययितापूर्वक हो कि ये जल्दी समाप्त नहीं होने पावे और अगली पीढ़ी के लिए भी बचे रहें। तात्पर्य कि आज का विकास भी न रुके और भविष्य में भी विकास की गाड़ी आगे बढ़ती रहे।

प्रश्न 4. आर्थिक नियोजन क्या है?

उत्तर- आर्थिक नियोजन का मतलब यह होता है कि देश की प्राथमिकताओं को ध्यान में रखकर देश में प्राप्त आर्थिक संसाधनों का उपयोग विभिन्न विकासात्मक क्रियाओं में किया जाय। ऐसी कियाएँ पहले से सोच-समझ कर समयबद्ध तरीके से सामाजिक और आर्थिक उद्देश्य की प्राप्ति के लिए उपलब्ध संसाधनों का नियोजित एवं समन्वितः तरीके से उपयोग किया जाय। इसमें मानव संसाधन को भी कार्य में लगाना पड़ता है। यदि हम एक वाक्य में कहना चाहें तो कह सकते हैं कि “आर्थिक नियोजन का अर्थ देश की प्राथमिकताओं के अनुसार देश के संसाधनों का विभिन्न विकासात्मक क्रियाओं में उपयोग करने से हैं। "


देश की प्राथमिकताओं के अनुसार देश के संसाधनों का विभिन्न विकासात्मक क्रियाओं में उपयोग करने से हैं। "


प्रश्न 5. मानव विकास रिपोर्ट क्या है?


उत्तर- मानव विकास रिपोर्ट (Human Development Report) संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रकाशित किया जाता है। यह संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम का एक हिस्सा है। विश्व के विभिन्न देशों, खासकर विकासशील देशों के तुलनात्मक शैक्षिक स्तर, स्वास्थ्य की स्थिति, प्रति व्यक्ति आय को ध्यान में रखकर यह रिपोर्ट तैयार किया जाता है। मानव विकास के तीन सूचक हैं। वे हैं: (i) जीवन आशा, (ii) शिक्षा की प्राप्ति तथा (iii) नागरिकों का जीवन स्तर।


प्रश्न 6. आंतरिक संरचना पर प्रकाश डालें ।

उत्तर–देश या राज्य के अन्तर्गत उसका आंतरिक संरचना जितना ही सुदृढ़ और विकसित होगा वह देश या राज्य उतना ही अधिक आर्थिक दृष्टि से मजबूत होगा। आंतरिक संरचना को 'आधारभूत संरचना' (Infrastructure) भी कहा जाता है। इसके अन्तर्गत बिजली, सड़क और परिवहन के अन्य साधन, संचार-सुविधा, बैंकिंग, स्कूल, कालेज, अस्पताल आदि आते हैं। ये सभी साधन आर्थिक विकास के प्रमुख आधार है। इन्हें आंतरिक संरचना के साथ-साथ आधारभूत ढाँचा भी कहा जाता है। आंतरिक संरचना जितना विकसित होगा वह देश या राज्य उतना ही विकसित होगा।


दीर्घ उत्तरीय प्रश्न (Long Answer Questions ) :


प्रश्न 1. अर्थव्यवस्था की संरचना से क्या समझते हैं? इन्हें कितने भागों में बाँटा गया है?


उत्तर- अर्थव्यवस्था की संरचना (Structure of Economy) से तात्पर्य उत्पादन के विभिन्न क्षेत्रों में इसके विभाजन से है। अर्थव्यवस्था में विभिन्न प्रकार की आर्थिक क्रियाएँहोती हैं। उदाहरण में हम कृषि, उद्योग, व्यापार, बैकिंग, बीमा, परिवहन, संचार आदि के नाम दे सकते हैं। मुख्यतः इन्हें तीन क्षेत्रों में बाँटा गया है। वे है :

 (i) प्राथमिक क्षेत्र (ii) द्वितीयक क्षेत्र तथा (iii) तृतीयक क्षेत्र तृतीयक क्षेत्र को सेवा क्षेत्र भी कहा जाता है। इनका विस्तृत विवरण निम्नांकित है :

(i) प्राथमिक क्षेत्र (Primary Sector)- प्राथमिक क्षेत्र में मुख्यतः कृषि आती है। इसके साथ-साथ पशुपालन, मछली पालन, मुर्गी पालन, वन्य वस्तुओं का संग्रह या प्राप्ति जैसे व्यवसाय आ जाते हैं। ये सब ग्रामीणों के जीवन के आधार हैं।

 (ii) द्वितीयक क्षेत्र (Secondary Sector) द्वितीयक क्षेत्र में खानज संसाधनों का निकाला जाना, उनसे उपयोगी वस्तुओं का उत्पादन करना, पेट्रोलियम तेल तथा गैसनिकालने के साथ ही बिजली उत्पादन के काम भी आता है। इस दृष्टि से द्वितीयक क्षेत्र को औद्योगिक क्षेत्र भी कह सकते हैं।

(iii) तृतीयक क्षेत्र (Tertiary Sector) तृतीयक क्षेत्र को सेवा क्षेत्र भी कहते हैं। कारण कि बैंकिंग के काम, बीमा, परिवहन के साधन, व्यापार या नौकरी आदि सब तृतीयक क्षेत्र में ही आते हैं। अध्यापक, जो विद्यालयों में पढ़ाते हैं, वे भी सेवा क्षेत्र में आते हैं।


प्रश्न 2. आर्थिक विकास क्या है? आर्थिक विकास तथा आर्थिक वृद्धि में अंतर बतावें ।

 उत्तर -आर्थिक विकास को हम आसानी ने नहीं समझ सकते। कारण कि विद्वानोंमें इस विषय पर काफी मतभेद है। अतः इसका कोई एक सर्वमान्य परिभाषा देना कठिन है। लेकिन यह निश्चित है कि आर्थिक विकास, आर्थिक नियोजन से ही हो पाता है। प्रो. टोस्टोव का कहना है कि “आर्थिक विकास एक ओर श्रमशक्ति में वृद्धि की दर है तथा दूसरी ओर जनसंख्या में वृद्धि के बीच का सम्बंध है। तात्पर्य यह कि देश या राज्य में उपलब्ध सम्पूर्ण श्रमशक्ति को उपयोग में लाने योग्य नियोजन को आर्थिक विकास कहते हैं।


आर्थिक विकास तथा आर्थिक वृद्धि में अंतर -आर्थिक विकास तथा आर्थिक वृद्धि में कोई खास अंतर नहीं है। दोनों एक-दूसरे के स्थान पर प्रयुक्त हो जाते हैं। इतना ही नहीं एक 'आर्थिक प्रगति' भी है, जो इन दोनों के लिए व्यवहरित होता है। लेकिन यदि मैड्डीसन ने जो बताया है, उस पर हम ध्यान दें तो आर्थिक विकास तथा आर्थिक वृद्धि में किचित अंतर भी दृष्टिगत होता है। उसके अनुसार जब विकासशील देश में आय का स्तर बढ़ता है और सम्पूर्ण श्रम शक्ति को नियोजित कर लिया जाता है तो इसे आर्थिक विकास (Economic Development) कहते हैं। वहीं विकसित देशों में बढ़ता हुआ आय का स्तर आर्थिक वृद्धि (Economic Growth) कहलाता है।


प्रश्न 3. अधिक विकास की माप कुछ सूचकांकों के द्वारा करें ।

उत्तर- आर्थिक विकास की माप के कुछ सूचकांक निम्नलिखित हो सकते हैं :

 (i) राष्ट्रीय आय (ii) प्रति व्यक्ति आय (iii) मानव विकास सूचनांक तथा (iv) उपभोक्ता व्यव


(i) राष्ट्रीय आय (National Income) - आर्थिक विकास का एक प्रमुख सूचक राष्ट्रीय आय है।सी देश या राज्य में एक वर्ष के अन्दर उत्पादित सभी वस्तुओं और सेवाओं के मुद्रा के रूप में आंक कर उनको जोड़ा जाता है। इसके योगफल को मूल्य राष्ट्रीय आय कहते हैं। इस प्रकार जिस देश या राज्य की राष्ट्रीय आय जितनी अधिक होती है, वह देश या राज्य उतना ही अधिक विकसित माना जाता है।

(ii) प्रति व्यक्ति आय (Per Capital Income) -आर्थिक विकास को मापने का एक सही सूचकांक प्रति व्यक्ति आय भी है। देश या राज्य में निवास करने वाले सभी नागरिकों की औसत आय को प्रति व्यक्ति आय कहते हैं। कुल मौद्रिक आय में कुल जनसंख्या से भाग दिया जाता है। जो भागफल आता है, वही प्रति व्यक्ति आय माना जाता है।

(iii) मानव विकास सूचकांक (Human Development Index)- यह सूचकांक भी आर्थिक विकास की माप में सहायक होता है। यह शैक्षिक स्तर, उनके स्वास्थ्य स्तर तथा प्रति व्यक्ति आय द्वारा आंका जाता है। इसके भी तीन सूचक है (क) जीवन आशा, (ख) शिक्षा प्राप्ति तथा (ग) जीवन स्तर ।

(iv) उपभोक्ता व्यय (Consumer Expenditure)- उपभोक्ता व्यय भी आर्थिक विकास का एक सूचक हो सकता है। भारत की पहली राष्ट्रीय मानव विकास रिपोर्ट में बताया गया था कि ग्रामीण जनता की व्यय क्षमता में कमी आई है, वहीं शहरी जनता में व्यय क्षमता काफी बढ़ गई है।


प्रश्न 4. (क) बिहार के आर्थिक पिछड़नेपन के क्या कारण हैं?

उत्तर – बिहार के आर्थिक पिछड़पेन के निम्नलिखित कारण है :

(i) तेजी से बढ़ती हुई जनसंख्या-बिहार में कुछ बढ़े या नहीं, किन्तु जनसंख्या अबाध गति से बढ़ी है और बढ़ रही है। फलतः राज्य के साधन का एक बड़ा भाग इनके भरण-पोषण में ही खप जाता है।

(ii) आधारभूत संरचना का अभाव-बिहार में सड़क, बिजली, सिचाई इत्यादि आधारभूत संरचना का भारी अभाव है। यहाँ शिक्षा तथा स्वास्थ्य सम्बंधी सुविधाओं का भी अभाव है।

(iii) कृषि पर निर्भरता—बिहार की जनसंख्या का अधिक भाग केवल कृषि पर ही निर्भर है। लेकिन कृषि का हाल यहाँ बेहाल है। यहाँ की कृषि काफी पिछड़ी हुई है। दिन पर दिन अपखंडन एक प्रमुख कारण है।

(iv) बाढ़ तथा सूखा से क्षति—बिहार राज्य का एक भाग बाढ़ से तो एक भाग सूखा से तबाह रहता है। इन दोनों के कारण शायद ही कोई वर्ष हो जिस वर्ष भरपूर कृषि फसल उपजी हो।

(v) औद्योगिक पिछड़ापन- बिहार में उद्योगों का लगभग अभाव-सा है। राज्य के बँटवारे के फलस्वरूप सभी खनिज संसाधन तथा बड़े उद्योग झारखंड में चले गए। फलतः बिहार इस क्षेत्र में शून्य पर पहुँच गया है।

(vi) गरीबी—गरीब राज्यों की यदि गिनती होने लगे तो हार का नाम सबसे ऊपर रखना पड़ेगा। यहाँ के लोगों की प्रति व्यक्ति आय औसतरीय आय से काफी कम है। बिहार के पिछड़े रहने का यह भी एक मुख्य कारण है

(vii) गिरी हुई विधि व्यवस्था-बिहार कुछ समय ऐसी स्थिति से गुजर चुका है कि लोगों को एक स्थान से दूसरे स्थान तक जाना कठिन हो गया था। इधर आकर कुछ सुधार के दिखाई पड़ने लगे है। लेकिन वर्षाका को जल्दी ठीक होता नजर नहीं आता

(viii) कुशल प्रशासन का अभाव-बिहार की प्रशासनिक स्थिति खस्ता हो गई है। नौकरशाह अपने को सर्वेसर्वा समझने लगे है। किसी भी कार्यालय में आप भ्रष्टाचार को नगी आँखों से देख सकते हैं।

 प्रश्न 4. (ख) बिहार के पिछड़ेपन को दूर करने के लिए कुछ मुख्य उपाय बतायें।

उत्तर- बिहार के पिछड़ेपन को दूर करने के लिए निम्नलिखित उपायों को अपनायाजा सकता है

 (i) जनसंख्या पर नियंत्रण- बिहार में बढ़ रही जनसंख्या पर रोक के लिए परिवार नियोजन कार्यक्रम को कड़ाई से अपनाना होगा। आत्मबल तथा यांत्रिक उपाया को में अपनाने के अलावे महिलाओं को शिक्षित करना भी अनिवार्य होगा। 

(ii) कृषि का विकास-बिहार की अधिकांश जनसंख्या कृषि से ही भरण-पोषण

पाती है। अतः प्रयासपूर्वक कृषि का विकास करना होगा। उन्नत बीज और वाजिब

उर्वरक का प्रबंध हो ताकि उपज में वृद्धि हो सके। सूखा से बचने के लिए सिचाई के

साधना का विकास आवश्यक है।


(iii) वाढ पर नियंत्रण- बिहार की कृषि लगभग प्रति वर्ष बाढ़ के कारण रह जाती है। इस पर नियंत्रण के उपाय होने चाहिए। उत्तर बिहार की बाढ़ को रोकने के लिए केन्द्र सरकार को नेपाल से सहयोग मांगना पड़ेगा।


(iv) आधारभूत संरचना का विकास- बिहार में बिजली की अत्यन्त कमी है। सड़क खराब है। शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी है। इन सभी बातों में विकास ही एक मात्र उपाय है।

(v) उद्योगों का विकास यह तो सर्व विदित है कि बिहार में उद्योगों का अभाव है, लेकिन जो है भी, उनको हर तरह से प्रोत्साहन के लिए सरकार को आगे बढ़ना होगा यदि श्रमिकों को रखने की सीमा कुछ बढ़ा दी जाय तो उद्योग तो विकसित होंगे ही, बहुत हद तक बेरोजगारी को समस्या भी हल होगी।

(vi) गरीबी उन्मूलन- बिहार में 42% से भी अधिक लोग गरीबी रेखा के नीचे जीवन गुजर रहे हैं। इनके लिए रोजगार की व्यवस्था आवश्यक है। स्वरोजगार को भी बढ़ावा दिया जाय।

(vii) शांति व्यवस्था की स्थापना- बिहार के व्यापारी आज भी डरे-सहमे रहते है। शांति व्यवस्था का उपाय तो हो रहा है, किन्तु गति कुछ धीमी है। इसमें तेजी लाना आवश्यक है। 

(viii) ईमानदार प्रशासन- प्रशासक नौकरशाह ईमानदार हो, यह सपने की बातहो गई है। बिना पूजा चढ़ाए एक तिनका भी नहीं डोल रहा। इन पर कैसे अंकुश लगे, यह सरकार को भी समझ में नहीं आता।

(ix) केन्द्रीय सहायता- बिहार को केंद्र द्वारा जो वाजिद सहायता है, वह भी नहीं मिल रही है। देने में टाल-मटोल अपनाया जाता है। दल का विभेद किए बिना केन्द्र सरकार को मदद करनी चाहिए।






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